शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

आर्ट सिखाता है स्कित्जोफ्रेनिया से लड़ने का हुनर

सौजन्य :
स्कित्जोफ्रेनिया के रोगियों को अपने विचारों को व्यक्त करने और बातचीत करने में परेशानी होती है। कई बार उन्हें डर, अकेलापन सताता है, जिसकी वजह से वो लोग खुद को दुनिया से अलग-थलग कर लेते हैं मिलना-जुलना छोड़ देते हैं। इन परिस्थितियों में जहां दवा अपना काम करती है वहीं कुछ अल्टरनेटिव थैरेपी भी काफी कारगर सिद्ध होती है उन्हीं में से एक है आर्ट थैरेपी।
किस प्रकार काम करती है यह थैरेपी
इसमें थैरेपिस्ट की मदद से रोगी अपने विचारों को क्रिएटिव तरीके से व्यक्त करते हैं। आमतौर पर आर्ट थैरेपी ग्रुप में की जाती है, जिसमें रोगी पेंट, ड्रॉ, स्कल्पचर के साथ-साथ आर्ट की अन्य विधाओं में हिस्सा लेता है। इसके बाद थैरेपिस्ट रोगी द्वारा तैयार किए गए आर्टवर्क के जरिए उसकी दुनिया में जाने का प्रयास करता है और उसके अंदर किस तरह के विचार चल रहे हैं उसे समझने की कोशिश करता है।
क्या मिलता है लाभ
स्कित्जोफ्रेनिया से पीड़ित मरीज आवश्यक इलाज कराने का विरोध करता है या इससे अनिच्छा जाहिर करता है। इसकी वजह से उनकी दिलचस्पी कई चीजों से खत्म हो जाती हैं और वो खुद को अकेला महसूस करते हैं। आर्ट थैरेपी के जरिए उनके विचारों को उनके अनुसार ही व्यक्त कराया जाता है, जिसमें वो अधिक सहज महसूस करते हैं। इसके जरिए वो सोशल स्किल सीखते हैं और उनमें आत्मविश्वास का स्तर भी बढ़ जाता है।
कई शोधों में आर्ट थैरेपी के लाभ के बारे में निम्न प्रकार की बातें सामने आई हैं:
  • रोगी के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • नकारात्मक चीजें कम होती हैं, जैसे किसी काम को करने के लिए प्रेरित न होना, बातचीत में दिलचस्पी न लेना।
  • सामाजिक और भावनात्मक रूप से विमुख हो जाना।
समझने लगते हैं खुद को
आर्ट थैरेपी के जरिए मरीज अपने विचारों और भावनाओं को सही तरीके से समझ पाता है। उदाहरण के लिए ऐसे में मरीज अपनी खीझ को रेखाचित्रों या पेंटिंग के जरिए कागज पर उतारता है तो उसके मन का बोझ हल्का हो जाता है। साथ ही साथ अपनी बातें काउंसलर से बेहतर तरीके से शेयर कर पाता है और उन पर अमल कर पाता है।
और भी हैं कई लाभ
मानसिक और शारीरिक लाभ के साथ-साथ आर्ट थैरेपी से मिलने वाले फायदे यहीं आकर खत्म नहीं होते। दर्द, एंग्जाइटी और तनाव जैसी सामान्य परेशानियों में भी यह लाभप्रद है। गंभीर भावनात्मक आघात से उबरने में भी आर्ट काफी लाभप्रद साबित होता है। कैंसर, पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बायपोलर डिसऑर्डर में भी आर्ट फायदेमंद है।
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किस प्रकार काम करती है यह थैरेपी
इसमें थैरेपिस्ट की मदद से रोगी अपने विचारों को क्रिएटिव तरीके से व्यक्त करते हैं। आमतौर पर आर्ट थैरेपी ग्रुप में की जाती है, जिसमें रोगी पेंट, ड्रॉ, स्कल्पचर के साथ-साथ आर्ट की अन्य विधाओं में हिस्सा लेता है। इसके बाद थैरेपिस्ट रोगी द्वारा तैयार किए गए आर्टवर्क के जरिए उसकी दुनिया में जाने का प्रयास करता है और उसके अंदर किस तरह के विचार चल रहे हैं उसे समझने की कोशिश करता है।
क्या मिलता है लाभ
स्कित्जोफ्रेनिया से पीड़ित मरीज आवश्यक इलाज कराने का विरोध करता है या इससे अनिच्छा जाहिर करता है। इसकी वजह से उनकी दिलचस्पी कई चीजों से खत्म हो जाती हैं और वो खुद को अकेला महसूस करते हैं। आर्ट थैरेपी के जरिए उनके विचारों को उनके अनुसार ही व्यक्त कराया जाता है, जिसमें वो अधिक सहज महसूस करते हैं। इसके जरिए वो सोशल स्किल सीखते हैं और उनमें आत्मविश्वास का स्तर भी बढ़ जाता है।
कई शोधों में आर्ट थैरेपी के लाभ के बारे में निम्न प्रकार की बातें सामने आई हैं:
  • रोगी के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • नकारात्मक चीजें कम होती हैं, जैसे किसी काम को करने के लिए प्रेरित न होना, बातचीत में दिलचस्पी न लेना।
  • सामाजिक और भावनात्मक रूप से विमुख हो जाना।
समझने लगते हैं खुद को
आर्ट थैरेपी के जरिए मरीज अपने विचारों और भावनाओं को सही तरीके से समझ पाता है। उदाहरण के लिए ऐसे में मरीज अपनी खीझ को रेखाचित्रों या पेंटिंग के जरिए कागज पर उतारता है तो उसके मन का बोझ हल्का हो जाता है। साथ ही साथ अपनी बातें काउंसलर से बेहतर तरीके से शेयर कर पाता है और उन पर अमल कर पाता है।
और भी हैं कई लाभ
मानसिक और शारीरिक लाभ के साथ-साथ आर्ट थैरेपी से मिलने वाले फायदे यहीं आकर खत्म नहीं होते। दर्द, एंग्जाइटी और तनाव जैसी सामान्य परेशानियों में भी यह लाभप्रद है। गंभीर भावनात्मक आघात से उबरने में भी आर्ट काफी लाभप्रद साबित होता है। कैंसर, पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बायपोलर डिसऑर्डर में भी आर्ट फायदेमंद है।

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